वार्षिक लेखन प्रतियोगिता देश प्रेम (मेरे देश की मिट्टी)
कितनी गाऊँ मैं मेरी।
देश की धरती की गाथा ।
पवित्र गंगा यमुना या ऊँचे ।
हिमालय के शिखर की परिभाषा ।
इस धरती पर जन्मा है।
ॠषि मुनियों का आभार ।
इनके लिखे ग्रन्थो में पूरे ।
जीवन का है सार।
मेरे देश की धरती की मिट्टी में है मिला ।
रक्त वीर जवानों का।
इनकी आन शान है अपने ।
देश पर मर मिट जाने का ।
सुनहरी मेरी देश की धरती ।
सुरज सी चमकती है ।
पीली पीली मिट्टी इसकी ।
सोना खूब उपजाती है ।
यहाँ मेहनत उस किसान की ।
जो बोता है।अपने पसीने से बीज़ ।
इस धरती से हमको प्राप्त होता ।
अन्न का एक एक दाना नसीब ।
यहाँ योग है आयुर्वेद का ज्ञान है ।
जो सारी दुनिया ना कर सकी ।
आयुर्वेद से इस समय में ।
करोना का इलाज है ।
ऐसी मेरी देश की धरती ।
हमेशा से हमको इस पर नाज है ।
विजयकांत वर्मा
11-Feb-2022 03:47 PM
nice
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Zakirhusain Abbas Chougule
10-Feb-2022 07:23 PM
Bahut badhiya
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Simran Bhagat
10-Feb-2022 06:42 PM
Nyc🔥🔥
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